श्रीमद भागवद गीता का एक बड़ा ही प्रसिद्द श्लोक है Yada Yada Hi Dharmasya Glanir Bhavati Bharata – यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। इस श्लोक में श्री कृष्ण ने प्रत्येक युग में प्रत्येक काल में अन्याय , अत्याचार तथा किसी भी प्रकार की बुराई से धर्म की तथा धर्म की रक्षा करने वाले साधुओं तथा सज्जनों की रक्षा के लिए इस पृथ्वी पर अवतरित होने की बात कही है।
कर्म तथा धर्म के इस सच्चे ज्ञान को हम भगवद गीता के श्लोको में पढ़ सकते हैं। इन्हीं श्लोकों में से एक बड़ा ही प्रसिद्द श्लोक है जिसका भावार्थ आज हिंदी में हम आपको बताने जा रहे हैं। यह श्लोक श्रीमद भागवद गीता के अध्याय क्रमांक 4 का श्लोक क्रमांक 7 है।
- Yada Yada Hi Dharmasya Lyrics
- Yada Yada Hi Dharmasya Sloka meaning in Hindi
- Sloka meaning in Tamil
- Meaning in Marathi
- Sloka meaning in Telugu
- Meaning in Kannada
संस्कृत भाषा में होने के कारण कहीं आप इस ज्ञान से वंचित न रह जाएं इसलिए आज हम इस सर्वाधिक पढ़े जाने तथा सुने जाने वाले प्रसिद्द Yada Yada Hi Dharmasya Sloka की व्याख्या शब्दों के अर्थ के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। तो आईये जानते है कौनसा है ये श्लोक और क्या है उसका भावार्थ।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥
Yada Yada Hi Dharmasya Sloka meaning in Hindi
मैं अवतार लेता हूं. मैं प्रकट होता हूं. जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं. जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं.
श्लोक शब्दार्थ:
यदा यदा : जब-जब
हि: वास्तव में
धर्मस्य: धर्म की
ग्लानि: हानि
भवति: होती है
भारत: हे भारत
अभ्युत्थानम्: वृद्धि
अधर्मस्य: अधर्म की
तदा: तब तब
आत्मानं: अपने रूप को रचता हूं
सृजामि: लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ
अहम्: मैं
परित्राणाय: साधु पुरुषों का
साधूनां: उद्धार करने के लिए
विनाशाय: विनाश करने के लिए
च: और
दुष्कृताम्: पापकर्म करने वालों का
धर्मसंस्थापन अर्थाय: धर्मकी अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए
सम्भवामि: प्रकट हुआ करता हूं
युगे युगे: युग-युग में
श्रीमद भागवद गीता वह पावन ग्रन्थ है जिसमे श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को महाभारत युद्ध के पूर्व दिए गए उपदेशों का वर्णन है। भगवद गीता में कुल अठराह अध्याय और सात सौ श्लोक हैं। महाभारत के युद्ध से पूर्व अर्जुन अपने भाइयों , अपने पितामह , अपने गुरु तथा अन्य कई परिजनों के बारे में सोचकर तथा उनसे स्नेह के कारण युद्ध करने से मना कर देते हैं। तब श्री कृष्ण उन्हें समझाते हुए उपदेश देते हैं तथा युद्ध के लिए तैयार करते हैं।
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Yada Yada Hi Dharmasya Lyrics
यदा यदा हि धर्मस्य
यदा यदा हि धर्मस्य
ग्लानीं भवति भरत
अभ्युत्थानम् अधर्मस्य
तदात्मनम् श्रीजाम्यहम्
अर्थ: हां पार्थ, मै प्रकट होता हूँ, मै आता हूँ।
जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मै आता हूँ।
जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं आता हूँ।
परित्राणाय सौधुनाम्
विनशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्था पन्नार्थाय
संभवामि युगे युगे
अर्थ: धर्मियों की रक्षा के लिए, दुष्टों का विनाष करने के लिए मै आता हूँ।
धर्म की स्थापना केलिए मैं आता हूँ और युग युग में जन्म लेता हूँ।
नैनम चिंदंति शास्त्राणि
नैनम देहाति पावकाः
न चैनम् केलदयंत्यपापो
ना शोषयति मारुताः
अर्थ: आत्मा को नाही हथियार भेद सकते हैं,
न ही आग इसे जला सकते हैं।
पानी इसे गीला नहीं कर सकता,
और न ही हवा इसे सुखा सकती है।
सुखदुक्खे समान कृतवा
लभलाभौ जयाजयौ
ततो युधाय युज्यस्व
निवम पापमवाप्स्यसि
अर्थ: कर्तव्य के लिए लड़ो, एक जैसे सुख और संकट, हानि और लाभ, जीत और हार का इलाज करो।
इस तरह अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने से आप कभी पाप नहीं करेंगे।
अहंकारम बलम दरपम
कामम क्रोधम् च समश्रितः
महामातं परमदेषु
प्रदविष्णो अभ्यसुयाकः
अर्थ: अहंकार, बल , इच्छा और क्रोध से अंधा, राक्षसी ने अपने शरीर के भीतर
और दूसरों के शरीर में मेरी उपस्थिति का दुरुपयोग किया।
Yada Yada Hi Dharmasya Sloka meaning in Kannada
ನಾನು ಅವತಾರ ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ. ನಾನು ಕಾಣಿಸಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ. ಧರ್ಮದ ನಷ್ಟ ಬಂದಾಗಲೆಲ್ಲಾ ನಾನು ಬರುತ್ತೇನೆ. ಅನ್ಯಾಯವು ಹೆಚ್ಚಾದಾಗ, ನಂತರ ನಾನು ಜನರ ರೂಪದಲ್ಲಿ ಪ್ರಕಟಗೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ, ನಾನು ಸಜ್ಜನರನ್ನು ರಕ್ಷಿಸಲು ಬರುತ್ತೇನೆ, ದುಷ್ಟರನ್ನು ನಾಶಮಾಡಲು ಬರುತ್ತೇನೆ, ನಾನು ಧರ್ಮವನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸಲು ಬರುತ್ತೇನೆ ಮತ್ತು ಯುಗಗಳಲ್ಲಿ ನಾನು ಜನ್ಮ ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ
Yada Yada Hi Dharmasya Sloka meaning in Tamil
நான் அவதாரம் எடுத்துக்கொள்கிறேன். நான் தோன்றுகிறேன். மத இழப்பு ஏற்படும் போதெல்லாம் நான் வருகிறேன். அக்கிரமம் அதிகரிக்கும் போது, நான் மக்கள் வடிவத்தில் வெளிப்படுகிறேன், நான் மனிதர்களைப் பாதுகாக்க வருகிறேன், துன்மார்க்கனை அழிக்க வருகிறேன், தர்மத்தை நிலைநாட்ட வருகிறேன், யுகங்களில் நான் பிறக்கிறேன்
Yada Yada Hi Dharmasya Sloka meaning in Telugu
నేను అవతార్ తీసుకుంటాను. నేను కనిపిస్తాను. మతం కోల్పోయినప్పుడల్లా నేను వస్తాను. అన్యాయం పెరిగినప్పుడు, నేను ప్రజల రూపంలో వ్యక్తమవుతాను, నేను పెద్దమనుషులను రక్షించడానికి వచ్చాను, దుర్మార్గులను నాశనం చేయడానికి వచ్చాను, నేను ధర్మాన్ని స్థాపించడానికి వచ్చాను మరియు యుగాలలో నేను పుట్టాను
Yada Yada Hi Dharmasya Sloka meaning in Marathi
मी अवतार घेतो. मी दिसे जेव्हा जेव्हा धर्माचे नुकसान होते, तेव्हा मी येतो. जेव्हा अपराध वाढतो, तेव्हा मी लोकांच्या रूपात प्रकट होतो, मी सज्जनांच्या रक्षणासाठी येतो, दुष्टांचा नाश करायला आलो, धर्म स्थापित करण्यासाठी आलो आणि युगात मी जन्म घेतो
श्रीमद भगवद गीता में इसी श्लोक की तरह अन्य कई श्लोकों द्वारा श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म तथा कर्म का पाठ पढ़ाकर सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी थी। यद्यपि ये आज के युग में हमे मुश्किल लगे परन्तु आज भी यदि हम इन उपदेशों को समझकर अपने जीवन में इनका अनुकरण करें तो बड़ी सरलता से जीवन का पार पाया जा सकता है।
जीवन के किसी भी क्षण में आपको लगे की अन्याय, अत्याचार या धर्म की हानि अत्यधिक बढ़ गयी है तो श्री कृष्ण द्वारा दिए गए इस उपदेश को स्मरण करें तथा निश्चिन्त होकर अपने कर्मों का पालन पूरी निष्ठा एवं लगन के साथ करते रहें। क्यूंकि हमारे कर्म ही हमारे आने वाले समय के सुखों और दुखों का निर्णय करते हैं।
आशा है हमारे इस उपर्युक्त दिए गए भावार्थ से आप तक श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश का सार पहुँचा होगा।